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सरदार वल्लभ भाई पटेल पर हिंदी में कविता।

Poem On Sardar Vallabhbhai

Patel In Hindi

सरदार वल्लभ भाई पटेल पर

हिंदी में कविता



'बेवफ़ा हूँ' ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

हमारे देश के पहले ग्रह मंत्री 'सरदार वल्ल्भ भाई पटेल' जी थे जो 'लौह पुरुष' के नाम से भी जाने जाते हैं क्यूंकि उन्होंने अपने सख़्त स्वभाव से और दृढ़ इरादों से रियासतों में बँटे हुए भारत देश को एक किया था। उनके जैसा हमारे भारत देश में दूसरा कोई ग्रह मंत्री नहीं हुआ जिसने इतनी शिद्दत और इतने मजबूत इरादों से देश की सेवा की हो। यहाँ तक कि 'महात्मा गाँधी' जी भी उनकी ताक़त का लोहा मानते थे। मग़र उन्होंने देश का पैसा कभी बर्बाद नहीं किया और ना ही कभी किसी को ऐसा करने के लिए मजबूर किया। मग़र हमारे देश के कुछ नेताओं ने उनके नाम पर ख़ूब पैसा लूटा और चीन में भी भेजा। मैं बात कर रहा हूँ स्टेचू ऑफ़ यूनिटी ( STATUE OF UNITY ) की जिसके नाम पर भारत सरकार ने लगभग तीन हज़ार करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए या कह लीजिये अपनी जेबों में भर लिए। इस मूर्ती को बनाने का सारा काम चीन की एक कंपनी ने किया है और भारत सरकार बोल रही है कि सारा काम भारत के कारीगरों ने किया है। जहाँ ये मूर्ती बनी हुई है वहाँ के लोगों के घरों में बिजली तक नहीं है और युवाओं के लिए पढ़ाई के साधन नहीं हैं। तो आप ख़ुद सोचिये क्या 'सरदार वल्ल्भ भाई पटेल' जी ऐसी जगह पर अपना सर उठाकर रहते ?, जहाँ लोगों को रहने में इतनी दिक़्क़त आ रही है। हमारी आज की कविता स्टेचू ऑफ़ यूनिटी ( STATUE OF UNITY )  के ऊपर है उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगी।


Poem On Sardar Vallabhbhai

Patel In Hindi

सरदार वल्लभ भाई पटेल पर

हिंदी में कविता

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की कुल लगतो

आसपास के लोगों को पानी की दिक़्क़त है,

ये क़सूर सरकार का है या उनकी क़िस्मत है, 

कब वल्लभ भाई पटेल जी ने ऐसा हुक़्म दिया,

तीन हज़ार करोड़ का कोई मूल्य नहीं था क्या।

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इसमें लगा जो धातु है वो चीन से आया है,

चीन के कारीगरों ने ही ये पुतला बनाया है,

भारत में रह सकता था जो पैसा उधर गया,

तीन हज़ार करोड़ का कोई मूल्य नहीं था क्या ,

कब वल्लभ भाई पटेल जी ने ऐसा हुक़्म दिया।

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उस लौह पुरुष को लोहे में ही ढाल दिया पूरा,

आमदला, भदरावा, संदरौली बन गए हैं कूड़ा,

शिक्षा का युवाओं का सपना तो यूँ ही बिखर गया ,

तीन हज़ार करोड़ का कोई मूल्य नहीं था क्या ,

कब वल्लभ भाई पटेल जी ने ऐसा हुक़्म दिया।

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तीन हज़ार करोड़ में क्या - क्या आ सकता था,

इतना पैसा खरचना इन्हें आसान लगता था,

उसे दिलों में ज़िंदा रखते जो देश को बदल गया,

तीन हज़ार करोड़ का कोई मूल्य नहीं था क्या,

कब वल्लभ भाई पटेल जी ने ऐसा हुक़्म दिया।

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नर्मदा का पानी गुजरात के खेतों तक पहुँच रहा ,

आसपास के गाँव वाला बूँद - बूँद को तरस रहा,

मुझे तो आ रही है आदिवासियों पर दया,

तीन हज़ार करोड़ का कोई मूल्य नहीं था क्या,

कब वल्लभ भाई पटेल जी ने ऐसा हुक्म दिया।

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Poem On Sardar Vallabhbhai Patel In Hindi

सरदार वल्लभ भाई पटेल पर हिंदी में कविता


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