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बेटी पर बेस्ट कविता हिंदी में।

Beti Par Best Kavita

In Hindi

बेटी पर बेस्ट कविता

हिंदी में



'बेवफ़ा हूँ' ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

आज की हमारी कविता 'बेटी' के ऊपर है। हम सब ये जानते हैं कि भारत देश में भ्रूण हत्या बहुत ज़्यादा होती है और इसकी भेंट हमेशा मासूम बच्चियों को ही चढ़ाया जाता है। बेटा पाने की लालच में बेटी को कोख़ में ही मारना, ये कहाँ का रिवाज़ है ? हर बार ज़ुल्म के आगे एक औरत की ही बलि दी गई है फ़िर वो चाहे उसको पति की चिता के साथ सती करने पर दी गई या शादी करके दहेज़ ना लाने पर। मग़र आज की  'बेटी' इतनी कमज़ोर नहीं है कि उसको कोई भी आकर कुचल कर चला जाए और वो कुछ ना कर सके। याद रखिये  'बेटी' नहीं होगी, तो बहन नहीं होगी, माँ नहीं होगी, पत्नी नहीं होगी, भाभी माँ के समान रिश्ता नहीं होगा, भतीजी नहीं होगी, भांजी नहीं होगी, भुआ नहीं होगी और आप जिसको देवी समझकर 'कंजक' पूजते हैं वह भी नहीं होगी और  'बेटी' से बनने वाला कोई रिश्ता नहीं होगा। मेरा आप सभी से यही निवेदन है कि अपनी 'बेटी' को बेटों से कम ना समझें। जिस दिन इस कथन पर अमल कर लिया जायेगा कि 'बेटा और बेटी में कोई अंतर् नहीं है' उस दिन ये कथन उल्टा बोला जायेगा कि 'बेटी' और बेटे में कोई अंतर्, भेदभाव नहीं है। तो आईये दोस्तों इस कविता को पूरे विश्व में भेजते हैं और रोज़ गुनगुनाते हैं 'नारी शक्ति' को बढ़ावा देने वाली इस कविता को। मैं ये उम्मीद करता हूँ कि आप सब अपनी बेटियों को ख़ूब पढ़ाएंगे और उनको बेटों के समान ही आदर और सम्मान देंगे।


Beti Par Best Kavita

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बेटी पर बेस्ट कविता हिंदी में

मैं किसी पर बोझ नहीं हूँ

मैंने जन्म दिया है वीरों को,

भगत सिंह जैसे हीरों को,

राजगुरु, सुखदेव से लाल,

गुरु नानक, संत, फ़क़ीरों को,

ममता का आँचल मैं ही हूँ,

पर ख़ुद को देखूं रोज़ नहीं हूँ,

मुझे कोख़ में मारना बंद करो सब,

मैं किसी पर बोझ नहीं हूँ।

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ज़ालिम का चलना ज़ोर नहीं,

अब मैं रेशम की डोर नहीं,

समाज के डर से दब जाऊँ,

मैं इतनी भी कमज़ोर नहीं,

अबला नारी मत समझना,

हारे देश की फ़ौज नहीं हूँ,

मुझे कोख़ में मारना बंद करो सब,

मैं किसी पर बोझ नहीं हूँ।

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मैं अंतरिक्ष में जा आई हूँ,

और अपना आप मिटा आई हूँ,

सब दुश्मन मेरे बन बैठे,

इस धरती पर मैं क्या आई हूँ,

तलवार नहीं त्रिशूल हूँ शिव का,

कोई समझे ना मुँहज़ोर नहीं हूँ,

मुझे कोख़ में मारना बंद करो सब,

मैं किसी पर बोझ नहीं हूँ।

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मुझको अब आगे बढ़ना है,

सब सोच - समझकर करना है,

बुद्धि और साहस को लेकर,

ज़ालिम समाज से लड़ना है,

मेरा ग़र्व से ऊंचा मस्तक रहे,

चाहती मैं कुछ और नहीं हूँ,

मुझे कोख़ में मारना बंद करो सब,

मैं किसी पर बोझ नहीं हूँ।

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Beti Par Best Kavita In Hindi

बेटी पर बेस्ट कविता हिंदी में


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ईमेल: - blogbewafahoon@gmail.com

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1 टिप्पणियाँ

  1. मैं आपका तह दिल से धन्यवाद करता हूँ |
    आगे भी पढ़ते रहिये ब्लॉग 'बेवफ़ा हूँ'

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