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अब तक की सबसे अच्छी नज़्म।

Best Nazm Of All Time

अब तक की सबसे अच्छी नज़्म







'बेवफ़ा हूँ' ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

दोस्तों आज की ये नज़्म आप सब की नज़र कर रहा हूँ ये नज़्म किसी की फ़रमाइश पर लिखी गई है इसमें मैंने अपने तज़ुर्बे भी डाले हैं। आप लोग इतना प्यार करते हैं तो हमें आपकी बात तो माननी ही पड़ती है ज़िन्दग़ी में हर कोई एक बार तो प्यार करता ही है, चाहे वो प्यार अधूरा रह जाये या फ़िर आगे चलकर ज़िन्दग़ी में एक नए रिश्ते का रूप लेले। इसी प्यार को अपने अंदर समयर हुए है ये नज़्म। प्यार की भाषा को नज़्म में एक अलग तरीके से कहा जाता है जिसका अंदाज़ निराला होता है। 

हमने आप सब के लिए हमारे इस ब्लॉग पर इस नए 'नज़्मों' के उपहार को शुरू किया है। मैं ये उम्मीद करता हूँ कि आप सब को हमारा ये उपहार पसंद आएगा। 


Best Nazm Of All Time

अब तक की सबसे अच्छी नज़्म। 

तुम ज़िन्दग़ी का क़िस्सा नहीं हो

मैं आज भी पागलों की तरह तुझे ख़त लिखता हूँ,

कितनी हैरानी की बात है जवाब भी ख़ुद लिखता हूँ,

तुझसे बिछड़े हुए कई साल ही गुज़र गए,

ना जाने कितने आशिक़ तुझको खोने के डर से मर गए। 


किसी दिन तुझको याद करने की क़ोशिश करूंगा,

क्यूंकि भूलने पर तो तुम ज़्यादा याद आती हो,

जब भी मेरे दोस्त तुम्हारा ज़िकर करते हैं,

मैं उन्हें बेवफ़ा लफ़्ज़ इस्तेमाल करने नहीं देता,

हमें एक ना एक दिन अलग होना ही था,

फ़िर मैं तुम्हें छोड़ता या तुम मुझे छोड़ती,

इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता।


धोखेबाज़ ज़िन्दग़ी कल रहे ना रहे,

तेरे होने का एहसास हमेशा बना रहेगा,

बना रहेगा तुम्हारा और मेरा साथ,

दुनिया के होते हुए और दुनियां के बाद भी। 


तेरा दिया हुआ फ़ूल मैंने आज भी,

अपने दिल की क़िताब में संभाला हुआ है,

उस फ़ूल में अब भी तेरे बदन की ख़ुश्बू है,

जो कभी भी मुरझाया नहीं तेरे जाने के बाद।


तुम ज़िन्दग़ी का क़िस्सा नहीं हो,

ये ज़िन्दग़ी एक क़िस्सा है,

तुम इस का एहम हिस्सा हो,

जो तुझको मोहब्बत करने में गुज़र गई।

मैं तो सिर्फ़ इस ज़िन्दग़ी में आया था,

मग़र वो तुम थी जो मेरी ज़िन्दग़ी में आई थी।

हम तेरे इंतज़ार में दरवाज़े खोलते रह गए,

और तेरा पैर किसी ग़ैर दहलीज़ को जा लगा,

तूने हमको छोड़ा है ये ख़ास बात नहीं,

हमने क्या-क्या छोड़ा है ये ख़ास बात है,

तुम जिन रास्तों से गुज़रती थी,

हमने उन रास्तों का पीछा नहीं छोड़ा,

और वो रास्ते भी तेरे इंतज़ार में रहे।

और ये अब ज़रूरी नहीं तुम लौटकर आओ,

मैं तुम्हें फ़िर से मोहब्बत करूं,

कोई फ़िर तुम्हें मुझसे चुराकर ले जाये।

हम उन आशिक़ों में से नहीं जो,

माशूक़ा के छोड़ जाने पर उसे बद्दुआ देते हैं।

एक दिन तुम ढूंढते-ढूंढते आओगी मुझे उसी जगह,

जिस जगह पर हम पहली बार मिले थे,

मग़र मैं तुम्हें मिलूंगा उस जगह,

जहां लोग आख़िरी बार मिलते हैं,

और फ़िर दिल नहीं जलता सिर्फ़ चिराग़ जलते हैं।

Best Nazm Of All Time

अब तक की सबसे अच्छी नज़्म। 


कविता को पढ़ने के बाद आपको कविता कैसी लगी अपने विचार हमारे साथ सांझा करें और हमें बताएँ कि हम अपनी कविताओं में और क्या सुधार ला सकते हैं : -


ईमेल: - blogbewafahoon@gmail.com

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