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हिंदी भाषा में प्रेरक ग़ज़ल।

Motivational Ghazal

In Hindi Language

हिंदी भाषा में

प्रेरक ग़ज़ल




'बेवफ़ा हूँ' ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

दोस्तों आज हम पढ़ेंगे ग़ज़ल 'कुछ भी नहीं' यार मेरा मतलब ग़ज़ल का नाम है 'कुछ भी नहीं' इस ग़ज़ल में आपको बहुत सारी चीज़ें सीखने को मिलेंगी। बहुत सारे व्यक्ति ज़िन्दग़ी में पाना बहुत कुछ चाहते हैं मगऱ करना  कुछ नहीं चाहते पर दोस्तों , यहाँ आपको वही मिलता है जो आपने किया होता है और अगर आपने कुछ नहीं किया तो आपको कुछ नहीं मिलेगा। आप अग़र अपने किसी दोस्त से मदद मांगने जाओगे भी तो वो आपकी मदद एक बार कर देगा , चलिए दो बार कर देगा , वो मदद चाहे पैसों की हो या छत की , तीसरी बार वो आपसे कह ही देगा कि भाई कोई काम - काज करले। किसी को ये कहने का मौका ही क्युँ देना। मैं आपको दुनियां में ऐसे - ऐसे व्यक्तियों के बारे में बता सकता हूँ जिनके जन्म से ना हाथ हैं और ना पैर हैं , पर फ़िर भी वो आज ख़ुद के दम पर पैसा कमा रहे हैं और इतना ज़्यादा कमा रहे हैं कि आप सोच भी नहीं सकते। तो आईये दोस्तों इस ग़ज़ल के साथ ख़ुद में एक नया जोश भरते हैं और आज ये प्रण करते हैं कि हमारी उम्र से हमारी कमाई का कोई अंदाजा ना लगाए , हमें ऐसा बनना है।



Motivational Ghazal

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हिंदी भाषा में प्रेरक ग़ज़ल

प्रेरणादायक ग़ज़ल के बोल

मुश्क़िलों में अपनी ज़िद पे आना सीख़ लो,

बढ़ती उम्र के साथ कमाना सीख़ लो,

क्या हुआ अग़र रास्तों में अँधेरा है,

तुम आग नहीं बन सकते तो मशाल जलाना सीख़ लो। 

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यहाँ ज़िन्दग़ी में आसान कुछ भी नहीं है,

पैसों के आगे दी ज़ुबान कुछ भी नहीं है।

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ज़िद पे अड़ जाये एक तिनका तो तूफ़ान है वो,

झुक जाये अग़र ये आसमान कुछ भी नहीं है।

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ख़ुदा बेचकर भी जिसको कभी पा नहीं सकते,  

मेरी माँ के आगे ये जहान कुछ भी नहीं है। 

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मैं जब काम से जाऊं तो वो रोज़ देखती है,

फ़ायदा हो ना हो मग़र नुक़्सान कुछ भी नहीं है। 

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उसने सोचा होगा इश्क़ करने लगा हूँ उससे,

मैंने साफ़ कह दिया मेरी जान कुछ भी नहीं है।

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जब -जब मेहनत करती है ऐलान मुसीबतों में,

फ़िर दरिया, समंदर, रस्ते की चट्टान कुछ भी नहीं।

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हिंदी भाषा में प्रेरक ग़ज़ल


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