Hindi Kavita Beti Par Bhi
Naaz Kiya Kar
हिंदी कविता बेटी पर भी
नाज़ किया कर
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बेटियों को हमेशा पराई अमानत समझकर पालना पड़ता है, क्योंकि जब बेटियां बड़ी हो जाती हैं तो उन्हें शादी करके एक ऐसे घर जाना होता है, जिस घर के बारे में उसे कुछ भी पता नहीं होता। और तो और उसे उस घर के किसी भी सदस्य के स्वभाव के बारे में भी पता नहीं होता। लेकिन फ़िर भी बेटियों को पालने में और उनको शिक्षित करने में माँ-बाप कभी पीछे नहीं हटते। बेटियां तो कहते हैं लक्ष्मी का रूप होती हैं। इस लिए इनको एक देवी की तरह भी पूजा जाता है। घर में एक बेटी हो तो आंगन में ख़ुशियां ही ख़ुशियां होती हैं। आज की हमारी ये ग़ज़ल भी इसी बात को दर्शाती है। तो आईये इस ग़ज़ल का लुत्फ़ उठाते हैं।
मेरे लिए कितनी ख़ुशियां लाइ हो तुम,
लोग क्यों कहते हैं कि पराई हो तुम
मैं जब तुझको देखूं चेहरा ख़िल उठता है,
मेरी हर उदासी की दवाई हो तुम
ख़ुशियों का आग़ाज़ किया कर,
बेटी पर भी नाज़ किया कर,
इसकी क़िस्मत इसके हिस्से,
इसको मत नाराज़ किया कर,
ख़ुशियों का आग़ाज़ किया कर,
बेटी पर भी नाज़ किया कर।
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ये भी पढ़-लिख सकती है,
क्या लड़का क्या लड़की है,
हक़ इसे है आज़ादी का,
क्यों इसपर ही सख़्ती है,
जब ये तुझसे कुछ भी मांगे,
छोर नहीं आवाज़ किया कर,
ख़ुशियों का आग़ाज़ किया कर,
बेटी पर भी नाज़ किया कर।
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ज़माने को समझाना है अब,
आज नहीं तो समझेगा कब,
बेटों तक ही सीमित रखना,
सारी ज़िन्दग़ी अपना मतलब,
बेटी ने ही साथ है देना,
इनपर भी विश्वास किया कर,
ख़ुशियों का आग़ाज़ किया कर,
बेटी पर भी नाज़ किया कर।
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बेटों से बढ़कर है बेटी,
बुढ़ापे में भी सुख़ जो देती,
बेटे मांगते हैं जायदाद,
ये बदले में कुछ ना लेती,
सबसे ऊँचा इनका दर्जा,
इनके लिए फ़रयाद किया कर,
ख़ुशियों का आग़ाज़ किया कर,
बेटी पर भी नाज़ किया कर।
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