Ek Nayi Subah Ka Paigam
Kavita Hindi Mein
एक नई सुबाह का पैगाम
कविता हिंदी में
''बेवफ़ा हूँ' ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
आज अगर मैं बात करूँ तो भ्रष्टाचार बहुत बढ़ चुका है और भ्रष्टाचार को मिटाने की क़ोशिश कम और दबाने की क़ोशिश ज़्यादा की जाती है ताकि किसी को भी इसकी कानों - कान ख़बर ना हो। ग़रीब व्यक्ति को तो ईमानदारी से भी कमाने नहीं दिया जाता है। यही सबसे बड़ी वजह है जिसके कारण ग़रीब कभी अमीर नहीं बना और उसकी सोच सिर्फ़ रोज़ी - रोटी तक रही। लेकिन आज कमज़ोर होना शरीफ़ होने की निशानी है या ये समझ लो दोस्तों कि शरीफ़ होना कमज़ोर होने की निशानी है। लोकतंत्र राज होने पर भी लोगों की नहीं चलती। जिसके पास पैसा है सिर्फ़ उसका ही तहलका है। डॉक्टर भीम राओ अंबेडकर जी ने कहा था कि पढ़ने, लिखने और ज्ञान अर्जित करने से ही हमारा भला हो सकता है और हम अपने हक़ों के लिए लड़ सकते हैं। एक बात हमेशा याद रखिये आपको ख़ुद के लिए ख़ुद ही लड़ना होगा, कोई भी आपके लिए किसी से ज़्यादा देर लड़ नहीं सकता। अपने बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करें और तर्क़ के आधार पर सोचने की शिक्षा दें ना कि फ़र्क़ के आधार पर। ज़िन्दग़ी का दूसरा नाम समझौता है जिसको आप सिर्फ़ अपने तक ही सीमित रखिये प्रस्थिति के अनुसार काम करना और ख़ुद को ढालना सीख लीजिये। आगे बढ़ने के लिए क़लम का सहारा लीजिये तलवार का नहीं। जो काम क़लम कर सकती है वो तलवार नहीं कर सकती। दोस्तों तो आईये पढ़ते हैं सच को प्रकाशित करने वाली इस कविता को और इस पर अमल भी करते हैं।
Ek Nayi Subah Ka Paigam
Kavita Hindi Mein
एक नई सुबाह का पैगाम
कविता हिंदी में
हमारी हस्ती मिटाने वालों को पैग़ाम है
हमारी हस्ती मिटाने वालों को पैग़ाम है
हमारा काफ़िला है तैयार ये ऐलान है,
हमारी हस्ती मिटाने वालों को पैग़ाम है।
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हथयारों से भी ज़्यादा हमने हाथ चलाने सीखे हैं,
तलवारों से भी ज़्यादा अब नाख़ून हमारे तीख़े हैं,
आज हमारे अंदर का जाग चुका इंसान है,
हमारा काफ़िला है तैयार ये ऐलान है,
हमारी हस्ती मिटाने वालों को पैग़ाम है।
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सिर पर हमने कफ़न नहीं मौत बांधकर रक्खी है,
हिम्मत देख हमारी सरकार भी हक्की - बक्की है,
सरफ़रोशी का पी रक्खा हम सबने जाम है ,
हमारा काफ़िला है तैयार ये ऐलान है,
हमारी हस्ती मिटाने वालों को पैग़ाम है।
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बहुत करी है निंदा तुमने भारत के संविधान की,
हमको आन हमारे बावा साहिब के बलिदान की,
पढ़ना, लिखना आगे बढ़ना यही एक अरमान है,
हमारा काफ़िला है तैयार ये ऐलान है,
हमारी हस्ती मिटाने वालों को पैग़ाम है।
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इस लोकतंत्र को तुम सबने पंचतंत्र है समझा हुआ,
ये बात अब हम बताएंगे क्या होती है चीज़ प्रजा,
'नागपाश' पे छोड़ दिया बाकी का जो काम है,
हमारा काफ़िला है तैयार ये ऐलान है,
हमारी हस्ती मिटाने वालों को पैग़ाम है।
Ek Nayi Subah Ka Paigam
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एक नई सुबाह का पैगाम कविता हिंदी में
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