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क्लियोपेट्रा पर कविता ब्लॉग बेवफा हूँ

Poem On Cleopatra By

Blog Bewafa Hoon

क्लियोपेट्रा पर कविता  बेवफ़ा  हूँ



'बेवफ़ा हूँ' ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

दोस्तों कहते हैं मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा इतनी ज़्यादा ख़ूबसूरत थी कि उसकी सुंदरता को देख़कर बड़े - बड़े बादशाह हक़्क़े - बक्के रह जाते थे। क्लियोपेट्रा अपने ज़माने की बहुत ही चतुर और शातिर रानी थी। उसे प्रजा का बहुत ध्यान रहता था। प्रजा को वो किसी भी तरह का कष्ट नहीं आने देती थी। उसकी ख़ूबसूरती के चर्चे बहुत दूर - दूर तक थे। अपने पिता की मृत्यु के बाद उसने अपने राज्य में न्याय विवस्था बनाये रखने के लिए और प्रजा को हर सुख़ सुविधा प्रदान करवाने के लिए बड़ी सूझ -बूझ से काम किया। राज्य हाथ में आने के बाद रानी क्लियोपेट्रा के बहुत दुश्मन पैदा हो गए और उनकी नज़र रानी क्लियोपेट्रा के राज्य पर थी। पर रानी क्लियोपेट्रा ने अपने ज़िंदा रहते हुए अपने राज्य पर आंच तक नहीं आने थे। लेकिन अब तक रानी क्लियोपेट्रा पर कोई भी कविता किसी भी कवी ने नहीं लिखी। पर हमने एक छोटी सी कोशिश की है उम्मीद है आप सब को ये कविता पसंद आएगी। 


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क्लियोपेट्रा पर कविता

ब्लॉग  बेवफ़ा  हूँ

क्लियोपेट्रा राजनीति में उसके जैसा


जिसने राजनीति से जीत लिया

मिस्र की बादशाही को,

रूप, रंग, और नयन नक़्श में

मात दी थी ख़ुदाई को,

क्लियोपेट्रा नाम था उसका,

हर किस्सा उसका जग ज़ाहिर था,

राजनीति में उसके जैसा और कोई ना माहिर था

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जनता को कोई कष्ट ना पहुँचे,

हर घर प्यार मिले रोटी,

पूरे विश्व पे राज करती,

आज अगर ज़िन्दा होती,

अपने पिता की मृत्यु के बाद,

उसे राज्य संभालना आख़िर था,

राजनीति में उसके जैसा और कोई ना माहिर था

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राज्य हाथ आने पर उसके,

शत्रु भी पैदा होने लगे,

कुछ ऐसा करें कि जनता,

रानी का विश्वास खोने लगे,

उसकी जड़ें उखाड़ने वाला,

उसके ही राज्य का काफ़िर था,

राजनीति में उसके जैसा और कोई ना माहिर था

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राज्य छिन जाने पर उसने,

लड़ी थी ख़ूब लड़ाई,

अपनी बुद्धि से राज की डोर,

वापिस थी हाथ में पाई,

उसको मारने की फ़िराक़ में,

बैठा हुआ उसका क़ातिल था,

राजनीति में उसके जैसा और कोई ना माहिर था

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