Pash Par Kavita
Hindi Mein
पाश पर कविता
हिंदी में।
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अवतार सिंह संधू उर्फ़ 'पाश' पंजाब के एक क्रन्तिकारी कवी थे और उनकी कविताओं में बहुत ही ज़्यादा उत्शाह और क्रांति लाने की बात की कही गई है और कहीं ना कहीं देश की आज़ादी में कवी 'पाश' का बहुत बड़ा योगदान है। कहा जाता है कि उनकी कविताओं से सरकार भी डरती थी। उनकी एक कविता ' सबसे ख़तरनाक़ ' विश्व - विख़्यात है जो पंजाबी और हिंदी दोनों भाषाओँ में पड़ी जाती है , और तो और इस महान कवी का नाम दुनियां के महान कवियों में लिखा जाता है। अवतार सिंह संधू उर्फ़ 'पाश' ने बहुत सारी कविताएँ लिखीं मगर आज तक 'पाश' के ऊपर कोई कविता नहीं लिखी गई। मैंने एक छोटा सा प्रयास किया है इस महान कवी के ऊपर कविता लिखने का और मेरी आज की ये कविता समर्पित है इस महान कवी को , कृप्या आप अपने विचार कमेंट में ज़रूर लिखें ताकि मैं आपके लिए इस तरह की अच्छी - अच्छी कविताएँ लाता रहूँ।
महान कवि अवतार सिंह संधू उर्फ़ 'पाश'
Pash Par Kavita
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पाश पर कविता हिंदी में।
मैं पाश बोल रहा हूँ।
देशवासियों मैं पाश बोल रहा हूँ,
लेकर एक आस बोल रहा हूँ,
भूल गए मेरे लफ़्ज़ों को,
मेरी कविता के शब्दों को,
स्थिति बिगड़ है रही सम्भालो,
अपना एक ही लक्ष्य बनालो,
मैं शिक्षा देकर जो गया,
उसका ना पालन कभी हुआ,
मैं होकर बड़ा निराश बोल रहा हूँ,
देशवासियों मैं पाश बोल रहा हूँ।
जैसा था पहले वैसा ही हूँ,
कड़वी बातें कहता हूँ,
मरा नहीं मैं हूँ ज़िंदा,
किसी के अंदर बैठा हूँ,
मेरी आत्मा प्यासी है,
कोई हुआ वनवासी है,
देश में गद्दारी की सज़ा,
सिर्फ़ फ़ांसी और फ़ांसी है,
तुम लोग अभी भी भ्रम में हो,
सब घिरे एक जंगल में हो,
पूरा करके विश्वाश बोल रहा हूँ,
देशवासियों मैं पाश बोल रहा हूँ।
मैं लोहा छोड़ गया था,
और जो मजबूत बड़ा था,
सोना बनके कमज़ोर हुआ,
किसी गले में लटक रहा था,
अब जागो तुम सोना मत,
बहुत हो गया है अब बस,
प्यार , मोहब्बत के जाल में,
मत काटना अपनी नस,
कोई ना तुम्हें जगाएगा,
सोते हुए मार मिटाएगा,
ये मत समझना मैं बक़वास बोल रहा हूँ,
देशवासियों मैं पाश बोल रहा हूँ।
Pash Par Kavita Hindi Mein
पाश पर कविता हिंदी में।
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