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बेहतरीन ग़ज़ल तू बेमिसाल।

Behtreen Ghazal Lyrics

Tu Bemisaal

बेहतरीन ग़ज़ल तू बेमिसाल




'बेवफ़ा हूँ' ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

अगर हमारी ज़िन्दग़ी में मोहब्बत ना हो तो हमें ये ज़िन्दग़ी बिल्कुल बेकार लगने लगेगी। अगर आपकी माँ आपसे प्यार ना करे , हर वक़्त आपको गुस्से से बुलाये , आपको बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा। इसी तरह जब हम किसी लड़की से सच्ची मोहब्बत करते हैं तो बहुत बार मोहब्बत में धोख़ा मिलता है , और कई बार तो आपकी मोहब्बत इतनी पाक़ हो जाती है कि आपको दूसरा इंसान हर हालत में अच्छा लगता है , चाहे उसने आपके साथ जैसा मर्ज़ी व्यव्हार किया हो। इसी मोहब्बत का एहसास कराती है हमारी ये ग़ज़ल , तो आइये हम सब मिलकर इस ग़ज़ल का लुत्फ़ उठाते हैं। 

               

Behtreen Ghazal Lyrics

Tu Bemisaal

बेहतरीन ग़ज़ल तू बेमिसाल

ग़ज़ल तू बेमिसाल

शेऱ : - मेरा इश्क़ जल्दी क़बूल मत कर,

          मुझे समझने में इतनी भूल मत कर,

          लोग मुझे तेरा क़ातिल समझने लगें,

          मुझे इस तरह ज़माने में मक़बूल मत कर। 

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उसकी हरक़त सबको बेमिसाल लगती है,

वो जैसी भी है मुझको कमाल लगती है। 

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देर जो लगा रही है वो आजकल मिलने में,

कोई साज़िश है उसकी गहरी चाल लगती है। 

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थक गया हूँ जवाब देकर जवाब मांग - मांगकर,

अब मुझको मेरी ज़िन्दगी एक सवाल लगती है। 

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मेरी सोच से उसकी याद अब निजात मांगती है,

वो हो गई अब किसी और का ख़्याल लगती है। 

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उसके घर कल आधी रात में दिया जला था,

और आज उसकी बदली चाल - ढाल लगती है। 

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चाहे रातों को सोना अब दुश्वार हो गया है 'जान',

आँख तो उनकी भी लाल - लाल लगती है। 

Behtreen Ghazal Lyrics Tu Bemisaal

बेहतरीन ग़ज़ल तू बेमिसाल


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ईमेल: - blogbewafahoon@gmail.com

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