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भारत जागो अभियान कविता हिंदी में।

Bharat Desh Par

Kavita In Hindi

भारत देश पर कविता 

हिंदी में






'बेवफ़ा हूँ' ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

दोस्तों आज हमारे देश की स्थिति कुछ ऐसी हो गई है कि लोग जुर्म के ख़िलाफ़ आवाज़ नहीं उठा रहे और भला उठायें भी कैसे उनका कोई साथ भी तो नहीं दे रह। अगर कोई सरकारी कर्मचारी रिश्वत मांगता है तो उसके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करवाने के लिए सरकार ने सहायता सम्पर्क नंबर तो जारी किये हुए हैं मगर शिक़ायत दर्ज होने के बाद कोई करवाई नहीं की जाती, और जिस व्यक्ति ने करवाई के लिए शिक़ायत की होती है उसका काम जो हो रहा होता है शिक़ायत के चक्कर में वो भी बंद हो जाता है क्यूंकि तब सरकारी कर्मचारी और ज़्यादा गुसा हो जाता है और जानबूझकर उस व्यक्ति को तंग करता है। सरकार का नाम अगर 'बेकार' हो तो भी चलेगा क्यूंकि ऐसे भी तो बेकार  ही है जो गरीब जनता का कुछ नहीं सोचती। आज हम अपने हक़ के लिए लड़ने का अधिकार भी खो चुके हैं। जागिये और अपने आपको पहचानिये, आगे बढिये। कवी ने इस कविता में जो मुर्दा हो चले समाज को कहा है उसको समझिये और ख़ुद सक्षम बनाइये। जागिये और दूसरों को भी नींद से जगाईये। भारत देश का भविष्य हमारे हाथ में है ना कि किसी सरकार के हाथ में है। एक नया दिन एक नई उम्मीद लेकर आता है और उस उम्मीद को आप पहचानियें और आगे बढिये।


Bharat Desh Par Kavita

In Hindi

भारत देश पर कविता 

हिंदी में

भारत जागो अभियान कविता हिंदी में

अपने हक़ के लिए लड़ोगे कब भारत,

सब कुछ ख़तम हो जायेगा क्या तब भारत,

आओ मिलकर देश जगाएं भाई - बंधु,

तब ही बन पायेगा भारत नव - भारत। 


जहाँ आम जनता पर होता ,

ज़ालिमों का क़हर है,

कोई आवाज़ ना उठाता,

ना ही चलती लहर है,

वो इंसानों का नहीं बल्कि,

मुर्दों का शहर है। 

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जहाँ लोग गरीबी में रहते, 

अत्याचारों की सीमा ना,

और लूट मार का कारोबार,

ख़ूब चले हो धीमा ना,

डंक है इनका फ़िर भी तेज़,

चाहे ना अंदर ज़हर है ,

जहाँ आम जनता पर होता,

ज़ालिमों का क़हर है,

वो इंसानों का नहीं बल्कि,

मुर्दों का शहर है। 

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होती पूजा शैतान की है ,

देवता और ना इन्हें मिला ,

कुचला ही वो जाता है ,

जो हो आंगन में फ़ूल खिला,

ये उनकी दृन्दगी का,

दूसरा तीसरा पहर है,

जहाँ आम जनता पर होता,

ज़ालिमों का क़हर है,

वो इंसानों का नहीं बल्कि,

मुर्दों का शहर है। 

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बलात्कारों का सिलसिला,

अभी तक ना थमा ही है,

लोगों की साँसे बंद कर,

ये एक तरह का दमा ही है,

सब हवा पानी दूषित हुआ,

नदी है या नहर है,

जहाँ आम जनता पर होता ,

ज़ालिमों का क़हर है,

वो इंसानों का नहीं बल्कि,

मुर्दों का शहर है। 

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Bharat Desh Par Kavita In Hindi

भारत देश पर कविता हिंदी में


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