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बेटी पढ़ाओ देश बढ़ाओ हिंदी कविता

Beti Padhao Desh Badhao

Kavita In Hindi

बेटी पढ़ाओ देश बढ़ाओ

हिंदी कविता




'बेवफ़ा हूँ' ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

अमर शहीद सरदार भगत सिंह, अमर शहीद राजगुरु और अमर शहीद सुखदेव जी जैसे वीरों ने देश की आज़ादी  के लिए और देश में समाजवाद लाने के लिए बहुत ही छोटी उमरों में देश के लिए अपनी जान क़ुरबान करदी। परंतु आज समाजवाद की बात तो छोड़ दीजिये आप सब लोग बेटी और बेटे में भेदभाव करके हमारे शहीदों का अपमान कर रहे हैं। आख़िर क्यों ये कहते हैं कि वंश को आगे बढ़ाने के लिए बेटा पैदा होना ज़रूरी है। जनाब एक बात ये भी समझ लीजिये कि अग़र किसी की बेटी, किसी की बहन आपके बेटे से शादी नहीं करेगी ना, तो भी आपका वंश आगे नहीं बढ़ सकता। जो हक़ बेटों को देते हो वही हक़ बेटियों को भी देने चाहियें, बात चाहे जायदाद की हो या कहीं पर सलाह देने की, बेटियों को पूरा हक़ दीजिये। आज की हमारी ये कविता 'कहने को बेटी समान है बेटे के' आप सबकी आँखें खोल देगी। 



Beti Padhao Desh Badhao

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बेटी पढ़ाओ देश बढ़ाओ

हिंदी कविता

कहने को बेटी समान है बेटे के 

पढ़ने लिख़ने का जब इसको हक़ है पूरा,
बेटी का कोई सपना फ़िर क्यों रहे अधूरा,
क्यों हर बार ही नारी सुख़ की भेंट चढ़े,
इतने बड़े भी क्या अरमान हैं बेटे के,
बेटी को भी बेटों वाले सब हक़ दो,
कहने को बेटी समान है बेटे के। 

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बेटियां भी करती हैं बेटों जैसे काम,
इनकी शादी बोझ नहीं, है तीर्थ धाम,
बेटियों की ग़लती को हंसकर माफ़ करो,
ये नहीं सब काम नादान हैं बेटे के,
बेटी को भी बेटों वाले सब हक़ दो,
कहने को बेटी समान है बेटे के। 

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गहरी निद्रा से अब लोग भी जागे हैं,
हर क्षेत्र में बेटियां ही तो आगे हैं,
बात हो आर्मी की या जहाज़ उड़ाने की,
अब भी तो कुछ क़दरदान हैं बेटे के,
बेटी को भी बेटों वाले सब हक़ दो,
कहने को बेटी समान है बेटे के। 

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हर बेटी की मदद करो आगे बढ़कर,
क्या पाओगे तुम सब यूँ ही डर डरकर,
इसकी इज़्ज़त इसने ही तो रखनी है,
बेटी से ही तो ख़ानदान हैं बेटे के,
बेटी को भी बेटों वाले सब हक़ दो,
कहने को बेटी समान है बेटे के। 

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